Death reality

Death reality: मौत जीवन का एकमात्र निश्चित और कटू सत्य है इससे भाग पाना या फिर इससे बच पाना  ना मुमकिन है क्योंकि इस दुनिया में जो आया है वह एक दिन जाएगा जरूर। मौत के बाद आंखें बंद हो जाती है, धड़कन रुक जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं मौत के वक्त कैसा महसूस होता है या फिर मौत के बाद क्या होता है।

भगवत गीता में कहा गया है कि मनुष्य का जीवन बिना कर्म के संभव नहीं है ,उसके कर्म ही मृत्यु तय करते हैं व्यक्ति के अच्छे कर्म हैं तो परलोक में भी सुख भोगेगा और अगर कर्म खराब है तो इस दुनिया से जाते-जाते भी दुःख भोगना पड़ेगा।

कर्मों का भुगतान उसको जन्मों जन्मों तक करना पड़ता है इसलिए कर्मों से बचा नहीं जा सकता ग्रंथों में कहा गया है कि अगर किसी ने आपसे धोखे से एक सुई भी ली है ना तो उसका भी आपको भुगतान करना पड़ेगा उससे बचा नहीं जा सकता।

मृत्यु का पूर्व आभास (Death reality)

शास्त्रों में कहा गया है मरने वाले व्यक्ति को अपने मरने की खबर पहले ही लग जाती है जब कोई व्यक्ति अपने जीवन के अंत के करीब होता है तो उसे कुछ विशिष्ट लक्षण अनुभव होते हैं और उसके साथ रह रहे लोग भी यह जान सकते हैं कि व्यक्ति की मौत होने वाली है जैसे पूरे शरीर में दर्द होना, सांस फूलना ,बेचैनी होना ,कब्ज ,भूख न लगना, थकान होना, त्वचा की रंगत बदल जाना ,शरीर के बनावट में बदलाव आ जाना यदि ऐसे ही लक्षण व्यक्ति में दिखे तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

असामयिक मृत्यु

इसके अलावा कई व्यक्तियों की मृत्यु असमय हो जाती है बुढ़ापे के अलावा किसी और कारण से जैसे बीमारी, हत्या ,आत्महत्या ,एक्सीडेंट ,जहरीले पदार्थ का सेवन ,पानी में डूबना, जानवर का काटना इसके पूर्व आभास की जानकारी व्यक्ति को नहीं मिल पाती।

मृत्यु जीवन का अंत है (Death reality)

मृत्यु चाहे तो अगले पल में हो जाए या फिर सालों तक आप अपना जीवन व्यतीत करें लेकिन मृत्यु निश्चित है आप इससे बच नहीं सकते। हर इंसान अपनी मृत्यु के बारे में कभी ना कभी तो जरुर सोचता है और फिर उसको डर भी लगता है और फिर तरह-तरह की कल्पनाएं करता है की क्या होता होगा, कैसे होता होगा।

मृत्यु का आभास ऐसा है जिसे एक कमरे से व्यक्ति को बाहर धकेल दिया जाए एक झटका भरा महसूस होता है। हां यह जरूर कहते हैं की मृत्यु से पहले व्यक्ति अपने जीवन की सारी बातें याद करता है सुख-दुख और जाते-जाते भगवान का नाम लेकर जाता है।

तत्क्षण व्यक्ति की सांस रुक जाती है, दिल धड़कना बंद कर देता है आमतौर पर किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है जो मौत के वक्त तेजी से गिरने लगता है। मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती है इस स्थिति में डेड बॉडी से मल मूत्र तक निकल जाता है 2 से 6 घंटे के बीच शरीर की मांसपेशियां अकड़ने लगती है।

मृत्यु के बाद शरीर के अंग कितने घंटे तक काम करते हैं (Death reality)

मौत के कुछ घंटे तक शरीर के कुछ अंग नहीं मरते जिन्हें या तो डोनेट किया जा सकता है या फिर ट्रांसप्लांट। कई बॉडी के साथ में डॉक्टर द्वारा रिसर्च कार्य भी किया जाता है यह निर्भर करता है मरने वाले की पूर्व जानकारी या फिर उसके सगे संबंधियों की राय पर कि वह शरीर को जालना या दफनाना चाहते है या फिर दान करके पुण्य कमाना चाहता है।

6 से 8 घंटे तक आंखें जिंदा रहती है आंखों के अलावा किडनी हार्ट और लीवर भी कुछ घंटे तक जिंदा रहते हैं जिसे डोनेट किया जा सकता है। उसके बाद शरीर के यह अंग भी कार्य करना बंद कर देते हैं जिसे फिर आप ना किसी को दे सकते हैं, ना ही कोई रिसर्च कार्य करवा सकते हैं।

मौत के आखिरी पल( Death reality)

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व्यक्ति का दिमाग मौत के 7 मिनट तक कार्य करता है तब वह अपनी पूरी जीवन को याद करता है और अधिकतर लोग अपने मौत के आखिरी पलों में केवल रिग्रेट के साथ मरते हैं काश थोड़ा और जी लेते ,काश में खुश हो लेता, लेकिन जो व्यक्ति आध्यात्मिक है या फिर अपने जीवन को पूरी तरीके से जिया है वह निश्चिंत होकर अपनी मौत को स्वीकार करते हैं। कहते हैं आखिरी पलों में भगवान का नाम लेना जरूरी होता है ताकि उसके बुरे कर्मों का नाश हो सके।

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