Society double standards: समाज में रोजाना महिलाओं और पुरुषों के साथ दोगलापन होते रहता है जिसमें व्यवहार और बातों में अंतर देखने को मिलता है। दोहरे मापदंड स्त्री और पुरुष में अंतर पैदा कर देते हैं यूं तो महिलाएं पहले से ज्यादा आजाद हुई है लेकिन फिर भी उनकी आजादी और काम को ज्यादा सीरियस नहीं लिया जाता।
समाज कितना ही आगे बढ़ जाए लेकिन समाज आज भी स्त्री और पुरुष में भेदभाव करता है, फिर चाहे स्त्री पूरे घर का खर्च ही क्यों ना चला रही हो उसके बाद भी स्त्रियों से ही उम्मीद की जाती है कि वह किचन में काम क,रें मेहमानों का सत्कार करें और बच्चों को भी वही संभाले और इसके विपरीत पुरुषों से उम्मीद की जाती है कि वह काम कर लाये।
खुलेआम प्रेम स्वीकार करना(Society double standards)
अपने आसपास आपने यह बहुत सामान्य तौर पर देखा होगा जब कोई स्त्री और पुरुष प्रेम करते हैं तो पुरुष का प्रेम के बारे मैं खुलेआम बोलता है ,समाज और परिवार आसानी से स्वीकार कर लेता है और वहीं अगर स्त्री किशोरावस्था में अपनी प्रेम की बातें करती है तो वह बदचलन और बदतमीज कहलाई जाती है,और सवाल उसकी शादी तक पर खड़ा हो जाता है
शराब और सिगरेट का सेवन में दोगलापन
शराब पीना या सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक होता है फिर चाहे पुरुष हो या फिर स्त्री यह दोनों का ही लिवर और फेफड़े खराब कर देती है ,लेकिन हमारे समाज में पुरुष अगर शराब या सिगरेट का सेवन खुलेआम करता है तो यह सामान्य माना जाता है और अगर स्त्री शराब का सेवन करती है तो समाज इसे स्वीकार नहीं करता ना ही वह खुले विचारों के साथ बोल सकती हैं क्योंकि समाज उसको फिर गलत मानने लगता है हालांकि स्वास्थ्य खराब इसमें दोनों का होता है।
महिला अगर अपने बच्चों को छोड़ दे (Society double standards)
विवाह में स्त्री और पुरुष को एक माना जाता है और दोनों से ही बच्चे पैदा होते हैं लेकिन हमारे आसपास ऐसे कई परिवार है जहां पुरुष पत्नी और बच्चों को छोड़कर चला जाता है कभी दूसरी स्त्री के पास तो ,कभी किसी और कारण से उसके ऊपर कोई उंगली नहीं उठाता।
वहीं अगर कोई स्त्री अपनी स्वतंत्रता से किसी और पुरुष को स्वीकार करना चाहे और अपने बच्चों को छोड़ दे तो उसके ऊपर कलंक लग जाता है क्योंकि हमारा समाज यह कहता है की माता कभी कुमाता नहीं हो सकती लेकिन वह यह भूल जाता है कि एक पुरुष के समान है स्त्री को भी स्वतंत्रता से जीने का हक है।
फैसला लेने का हक
एक परिवार को स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर बनाते हैं स्त्री चाहे कितनी भी पढ़ी-लिखी क्यों ना हो कितनी ही समझदार क्यों ना हो, लेकिन उसको बड़े फैसले लेने का हक नहीं होता है। बड़े फैसले लेने का हक परिवार में हमेशा पुरुषों को दिया जाता है फिर चाहे उनके फैसला गलत ही क्यों ना हो।
पैसा कमाने का हक
पुरुष के समान ही आज स्त्री घर को चलती है काम कर घर लाती है लेकिन बात अगर जॉब छोड़ने की आए तो हमेशा स्त्री को अपनी जॉब छोड़नी पड़ती है फिर चाहे वह बच्चों के कारण हो, शहर छोड़ने के कारण हो या फिर कोई और कारण इसके विपरीत पुरुष अपनी जोब से कभी कंप्रोमाइज नहीं करता जो कि समाज के दोगलेपन को दर्शाता है।
महिलाओं की ड्राइविंग पर मजाक(Society double standards)
सोशल मीडिया पर आपने ऐसी बहुत सी वीडियो, फोटो देखी होगी जहां पर स्त्री की ड्राइविंग का मजाक उड़ाया जाता है की महिलाओं को सही ड्राइविंग करना नहीं आता, वह हमेशा गाड़ी कहीं पर भी ठोक देती है अगर इसके विपरीत बात की जाए तो एक रिसर्च में यह बात सामने आई थी की महिलाएं बेशक कार दीवार से ठोक दे लेकिन अगर पुरुष एक्सीडेंट करता है तो उसमें जान तक चली जाती है जो कि यह महिला और पुरुष में भेदभाव को दर्शाता है।
पुरुषों को उनके पैसे से जज करना
महिलाओं के समान ही पुरुषों के साथ भी बहुत गलत होता है जहां समाज एक ओर बड़ी-बड़ी ,प्यारी-प्यारी बातें करता है कि इंसान अच्छा होना चाहिए, पैसे वाला हो या फिर नहीं लेकिन दूसरी और हर पिता और भाई अपनी बेटी ,बहन के लिए पैसे वाला लड़का ही ढूंढता है जो की एक पुरुष के साथ दोगलापन को दर्शाता है।
इस दोगलेपन के कारण कई अच्छे पुरुषों को बेहतर लड़कियां नहीं मिल पाती और कई लड़कियों को बेहतर पुरुष नहीं मिल पाए जिस कारण तलाक के केस बढ़ते जा रहे हैं।
घर का काम करने में
पुरुषों से उम्मीद की जाती है कि वह बाहर का काम करेंगे और सारा काम घर का महिलाएं करेंगी जबकि उस घर की महिला भी अगर बाहर जॉब करती है तब भी उसको घर का काम करना पड़ता है जो की एक दोगलेपन को दर्शाता है।
परिवार में स्त्री और पुरुष को अपने काम को बांटना चाहिए क्योंकि अब वह वक्त चला गया जहां महिलाएं सिर्फ घर में बैठकर खाना पकाती थी ।अब महिलाएं भी बाहर जाकर जॉब करती हैं और हर बार मेहमान आने पर उनका सत्कार अब महिलाओं का काम नहीं है ,दोनों को मिलजुल घर का काम करना चाहिए।
Society double standards इस तरह समाज में महिलाएं और पुरुष एक बराबर पैसा कमाने के बाद भी समाज आज महिला और पुरुष में भेदभाव करता है और परिवारों इसी कारण से क्लेश देखने को मिलते हैं जहां महिलाओं को पुरुषों से कम समा जाता है और उनसे उम्मीद की जाती है कि वह कंप्रोमाइज करें और पुरुषों के अनुसार चले।