Bhagavat gita updesh: चारों तरफ से हताश और निराश है तो श्रीमद् भगवत गीता के यह 6 उपदेश बदल सकते हैं आपकी जिंदगी

Bhagavat gita updesh: जब भी इंसान अपनी जिंदगी में परेशान होता है हताश और निराश होता है तो उसे भगवत गीता पढ़नी चाहिए। भगवत गीता में व्यक्ति के हर सवालों का जवाब छुपा है जिसका अनुकरण करने से व्यक्ति के हर कष्ट दूर हो सकते हैं, उसकी दुख परेशानियां खत्म हो सकती है और इंसान के जीवन में आशा की लहर दौड़ सकती है।

भगवत गीता के सार पांच विषयों पर आधारित है ईश्वर, जीव ,प्रकृति ,काल और कर्म ,यूं तो भगवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक है जो जीवन की शिक्षा का पाठ पढ़ाते हैं। भगवत गीता में श्री कृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को सदैव प्रयास करते रहना चाहिए प्रयास करने से ही जीवन सफल बनता है।

कर्म कर फल की चिंता मत कर (Bhagavat gita updesh)

गीता में श्री कृष्णा कहते हैं कि व्यक्ति को अपने कर्मों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ना कि फल पर क्योंकि व्यक्ति के हाथ में सिर्फ कर्म करना ही है उसके कर्मो का हिसाब करना भगवान के हाथ में होता इसीलिए कहते हैं तो कर्मकार फल की चिंता मत कर, जो भगवान चाहेंगे वही व्यक्ति को फल मिलेगा व्यर्थ में तनाव लेकर व्यक्ति को अपना जीवन बर्बाद नहीं करना चाहिए।

स्वयं का आकलन खुद करें (Bhagavat gita updesh)

श्री कृष्ण के अनुसार इस संसार में खुद को खुद से बेहतर कोई नहीं जानता इसलिए व्यक्ति को स्वयं का आकलन खुद से करना चाहिए। यदि व्यक्ति अपने गुणों को जान ले और कमियों को पहचान ले तो वह सफलता के किसी भी मुकाम तक पहुंच सकता है उसको किसी और की जरूरत नहीं पड़ती।

मन को नियंत्रण में रखें (Bhagavat gita updesh)

व्यक्ति का मन उसके दुखों का सबसे बड़ा कारण है भगवत गीता में कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति का मन चंचल होता है और वह अपने मन को काबू कर ले और अपनी इच्छाओं को नियंत्रित कर ले तो वह सारे दुःखों से दूर हो सकता है और चिंता मुक्त मन व्यक्ति को संतुष्टि देता है जिससे वह लक्ष्य को जल्दी से पास सकता है।

क्रोध को नियंत्रण में रखें

Bhagavat gita updesh

क्रोध व्यक्ति के लिए सबसे हानिकारक चीज है, आवेश में आकर ही व्यक्ति गलत कदम उठाता है और गलत कार्य को करता है। खुद के साथ भी व्यक्ति क्रोध में ही आकर गलत करता है श्री कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि क्रोध ही सारे कामों को नष्ट कर देता है।

समय को स्वीकार करें

अक्सर व्यक्ति अपने भूतकाल में खोया रहता है या फिर फ्यूचर की प्लानिंग करता रहता है, वह आज में नहीं जीता जिस कारण वह खुश नहीं रह पाता। व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने समय को स्वीकार करें जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा होगा यह मानकर ना भूत काल का पश्चाताप करें ना भविष्य की चिंता करें बल्कि वर्तमान में जीये और समय को स्वीकार करें।

धर्म के मार्ग का अनुसरण करें

श्रीमद् भागवत गीता में कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को धर्म के मार्ग का अनुसरण करते हुए सब कर्म करना चाहिए तब व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है। गीता की बातों का अनुसरण करके व्यक्ति का जीवन परिवर्तित हो सकता है वह परमात्मा को पा सकता है उसे आत्मज्ञान हो सकता है।

Bhagavat gita updesh गीता के उपदेश में मनुष्य के हर दुखों का निवारण छुपा है श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी भी वस्तु के प्रति अत्यधिक मोह मनुष्य के दुःख और असफलता का कारण है इसलिए किसी से इतना मोह ना रखें वर्तमान क्षण में जिए और मन को नियंत्रित करें।

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सच्चा मन ही आपको भगवान के नजदीक लेकर जाएगा और आपके सारे कर्मों का फल इसी से ही मिलेगा। ध्यान में होकर सच्चे मन शुद्ध सात्विक भाव से भगवान से प्रार्थना करने पर भगवान आपको स्वीकार करता है और आपको मनवांछित फल देता है।

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