Health problems: अनियमित पीरियड्स, हैवी ब्लडिंग, ब्लोटिंग हर महीने तारीख बदल जाना, पीसीओडी, अल्सर जैसी बीमारी हर महिला के लिए आम बात हो गई है। फिर उसके बाद मूड स्विंग, कुछ करने का मन नहीं करना, चिड़चिड़ा रहना, बात-बात पर रोना आना, भावनाओं का अपने बस में ना होना अगर ऐसी समस्या आपको भी आ रही है तो यह आपके लिए है।
बदलते खानपान और दैनिक आदतों की वजह से महिलाओं के शरीर पर बेहद खराब प्रभाव पड़ता है जिस कारण शरीर मैं हार्मोन असंतुलन बना रहता है और फिर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है समय समय पर यदि डॉक्टर से जांच कराई जाए तो इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। सबसे पहले महिलाओं को अपनी दैनिक दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए समय से खाना, समय से उठना, और समय से उठना चाहिए साथ ही व्यायाम पर भी ध्यान देना चाहिए।
बच्चों के बढ़ते शरीर के साथ बहुत सारे ऐसे परिवर्तन शरीर के अंदर होते है जिस पर उनके माता पिता को भी ध्यान देना चाहिए और समय रहते उसका इलाज कराने से बच्चियों मैं हार्मोन समस्या नहीं होगी और असंतुलन के कारण शारीरिक और मानसिक समस्या भी दूर रहेगी।
क्या होता है हार्मोनल असंतुलन( harmones problems)
हार्मोन हमारे शरीर में मौजूद ऐसे रसायन होते हैं जो आपके रक्त के माध्यम से आपके अंगों त्वचा और मांसपेशियों तक संदेश पहुंचाते हैं और शरीर में बहुत सारे काम करते हैं हार्मोंस जीवन के लिए और स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक होते हैं लेकिन अगर आपके शरीर में भी हार्मोन बहुत अधिक या फिर बहुत कम हो जाए तब हार्मोंस असंतुलन होने लग जाते है। जिससे बहुत सारी शारीरिक और मानसिक समस्याएं होती हैं। कहीं आप भी तो नहीं हो गए हैं इसके शिकार तो जान ले क्या-क्या लक्षण है और क्या है हार्मोनल असंतुलन के उपाय ताकि समय रहते आप इसका उपचार कर सके और स्वस्थ महसूस कर सकें।
हार्मोनल असंतुलन के कारण उत्पन्न समस्या
- अवसाद या चिंता- जब भी शरीर में हार्मोंस की गति धीमी या तेज होगी तो मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा और व्यक्ति अवसाद में रहने लगता है और हमेशा चिंता सताती रहती है।
- आपकी बगल या गर्दन काली – हार्मोंस असंतुलन का असर आपके पूरे शरीर पर पड़ता है जिसके कारण आपकी बगल काली होने लग जाती है और आपकी गर्दन के किनारों पर भी त्वचा का रंग काला हो जाता है।
- एकदम ठंडा या गरम लगना- ठंडे तापमान और गर्म तापमान को सहने की शक्ति में फर्क आ जाता है तुरंत ही इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ने लगता है।
- थकान, सर दर्द- हार्मोनल असंतुलन के कारण व्यक्ति थका- थका महसूस करता है और सर हमेशा भारी-भारी लगता है। उसका मन किसी काम को करने में नहीं लगता।
- सेक्स में रुचि कम होना– हार्मोनल असंतुलन के कारण व्यक्ति का मन संबंध बनाने का नहीं करता है उसे रूखापन महसूस होता रहता है और इच्छाएं मर जाती है। और योनि खुजली, खुरदुरी, सुखी लगती है।
- नींद -हार्मोनल असंतुलन में नींद में कमी आ जाती है व्यक्ति में चिड़चिड़ापन रहने लगता है कई बार इसके कारण एकदम पसीने आने लगते हैं
vitamin D:आपको भी आता है गुस्सा रहते हैं चिड़चिड़े, तो आपके भी शरीर में यह विटामिन की कमी है।
हार्मोन समस्या होने पर क्या क्या करें उपाय
यदि आपको यह पता लग चुका हार्मोन असंतुलन आपके शरीर में हो चुका है तो सबसे पहले आप डॉक्टर से अपना चेकअप करायें और सलाह ले।
- हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखने के लिए संतुलित आहार ले जिसमें सारे पोषक तत्व मौजूद हो और बाहर का खाना बिलकुल छोड़ दे।
- तनाव लेना कम करें। अपना मन काम की चीजों में लगायें।
- हार्मोनल बैलेंस के लिए नियमित तौर पर व्यायाम करें घूमने जाएं, जिम जाए।
- हाय केमिकल ब्यूटी प्रोडक्ट का उपयोग ना करें।
- साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें रोजाना नहाए।
- अपने आप को खुश रखने की कोशिश करें।
अगर आपको भी ऐसा लगता है आपके भी हार्मोंस उथल पुथल हो गए है तो सबसे पहले डॉक्टर की सलाह ले और अपने दिनचर्या मैं बदलाव करें।