Budha teaching

Budha teaching: गौतम बुद्ध एक प्रबुद्ध व्यक्ति थे। गौतम बुद्ध की शिक्षाएं जिन्हें धर्म या धम्म के नाम से जाना जाता है जिन्हें जानकर व्यक्ति की सारी मुश्किलें हल हो सकती है और वह मोक्ष को प्राप्त हो सकता है। गौतम बुद्ध ने अपने विचारों को बेहद सरल और सामान्य रखा है जिससे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक को समझ में आ सके और वह अपना जीवन परिवर्तन कर सके।

गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना बहुत कम उम्र में की थी उनका असली नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था ,उनका प्रारंभिक जीवन बेहद सुख चैन और वैभव के साथ बिता और फिर छोटी सी आयु में ही वह अपने माता-पिता पत्नी और बच्चे को छोड़कर उन्होंने सन्यास ले लिए।

गौतम बुद्ध की आध्यात्मिक यात्रा (Budha teaching)

गौतम बुद्ध घर छोड़कर के बाद 6 वर्ष तक भ्रमण किया और तपस्या में विलीन रहे वह अपने आत्मिक खोज के लिए कठिन तपस्या करते थे। अलारा कालामा ऋषि ने उनको ध्यान और उपनिषद की शिक्षाएं दी। कठिन परिश्रम और आत्म यातनाओं के बाद गौतम बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे निर्माण की प्राप्ति हुई और वह आध्यात्मिक उन्नति करते हुए भगवान कहलाए।

गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्य और 8 अष्टांगिक मार्ग को अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सुख और शांति से बिता सकता है और मोक्ष प्राप्त कर सकता है जिसके लिए वह मध्यम मार्ग अपनाने की सलाह देते हैं गौतम बुद्ध ने अपने अधिकतम उपदेश सारनाथ में दिए थे।

Budha teaching

 

गौतम बुद्ध के 4 आर्य सत्य (Goutam budha 4 noble truths)

संसार दुःख से भरा है (Budha teaching)

प्रथम आर्य सत्य में गौतम बुद्ध का मानना था की दुःख जीवन का सत्य है और यह संसार दुःख से भरा पड़ा है, इस संसार में कोई भी ऐसा प्राणी नहीं है जिसे दुख ना हो लेकिन दुःख का निवारण हो सकता है यदि व्यक्ति अध्यात्म की ओर प्रवेश करें तो।

इच्छा ज्ञान और आशक्ति दुःख के कारण है

महात्मा बुद्ध अपने दूसरे आर्य सत्य में बताते हैं कि संसार में दुःख का कारण तीव्र इच्छा होना है और आशक्ति है जो व्यक्ति को दुख की ओर ले जाती है जिस कारण व्यक्ति के मन में तृष्णा पैदा होती है और व्यक्ति दुख की ओर चल पड़ता है और गहरी इच्छा है उसका दुःख का कारण बनती है।

दुःख का निवारण संभव है ( Budha teaching)

महात्मा बुद्ध अपने तीसरे आर्य सत्य में कहते हैं कि संसार में जितने भी दुख मौजूद है उन सब का निवारण संभव है ऐसा कोई दुख नहीं है जिसका हल नहीं किया जा सकता और जो व्यक्ति ठान लें कि वह अपने दुखों को नष्ट करेगा वह व्यक्ति भगवत मार्ग की ओर चल पड़ना चाहिए।

दुःख को समाप्त करने के लिए अष्टांगिक मार्ग अपनाना चाहिए

गौतम बुद्ध अपने चौथे आर्य सत्य में कहते हैं की जिस प्रकार संसार में दुःख है उसी प्रकार संसार में दुःख दूर करने के उपाय भी मौजूद है जिसके लिए व्यक्ति को अष्टांगिक मार्ग अपनाना चाहिए। गौतम बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग से तात्पर्य है मध्यम मार्ग यह मार्ग जीवन को शांति और आनंद मय बनाता है।

गौतम बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग (Eightfold path of Gautam budha )

Budha teaching गौतम बुद्ध अपने चौथे आर्य सत्य में अष्टांगिक मार्ग को अपनाने के लिए यह आठ वचन बताते हैं जिसमें वह  सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक, सम्यक कर्म , सम्यक जीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक् स्मृति, सम्यक समाधि मार्ग अपनाने को कहते हैं।

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गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपने चार आर्य सत्य के उपदेश दिए थे जिसमें वह मध्यम मार्ग अपनाने को कहते हैं और अपने जीवन में दुखों का निवारण करने का मार्ग सुझाते हैं जिसमें व्यक्ति अपने जीवन में सुख और शांति के साथ जीवन यापन कर सके।

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