Namaste india: जब भी भारत में कोई किसी से मिलता है तो सबसे पहले हाथ जोड़कर उसे नमस्ते या नमस्कार बोलना है यह मात्र शब्द नहीं है इसके पीछे बहुत बड़ा कारण छुपा है। नमस्कार को अगर संस्कृत में विच्छेद करें तो मतलब होता है नमः + असते जिसमें नमः का मतलब है झुकना और असते का मतलब है आपके समीप मैं झुका।
नमस्ते और नमस्कार शब्दों मे ही नहीं बोला जाता यह मन से, वचन से और शरीर तीनों से बोला जाता है तब मन प्रसन्न होता है, वाणी से वचन निकलता है और शरीर को हम दूसरे के समीप झुकाते हैं और यही झुकने से व्यक्ति का अहंकार विलीन होता है और वह व्यक्ति आध्यात्मिक तौर पर उस व्यक्ति से जुड़ता है।
नमस्ते बोलने के वैज्ञानिक लाभ (Namaste india)
विज्ञान का मानता है कि हमारे हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतु से जुड़े होते हैं और जब हम नमस्कार करते हैं तो हमारे दोनों हाथ आपस में जुड़ते हैं और एक दबाव बनता है, यह दबाव एक्यूप्रेशर का काम करता है और हमारी बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन तेज कर देता है, तब मस्तिष्क से लेकर हृदय तक रक्त प्रवाह तेज हो जाता है जिससे हमारे शरीर का विकास बेहतर तरीके से होता है और हम बीमारियों से मुक्त रहते हैं।
नमस्ते बोलने के आध्यात्मिक लाभ (Namaste india)
नमस्ते यूं तो सिर्फ हाथ जोड़ना मात्र ही लगता है लेकिन इसके पीछे बहुत बड़ी वजह छुपी है जब दो हथेलियां आपस में जुड़ती है और शरीर झुकता है तो इससे हमारा अहंकार नष्ट होता है और हमारा आज्ञा चक्र जो कि हमारे आइब्रो के बीचो-बीच होता है जिसे हम थर्ड आई (third eye)कहते हैं वह जागृत होने में हमारी मदद करता है।
नमस्ते बोलने से हमारा हृदय चक्र एक्टिवेट हो जाता है और हृदय की प्रसन्नता में हमारी ऊर्जा ऊपर की ओर प्रवाहित होती है और हम अंतरात्मा में प्रवेश करते हैं, यही अंतरात्मा हमें ईश्वर से मिलन करवाती है जिससे व्यक्ति का उत्थान होता है और मन शांत होता है, और चित्त प्रश्नों से मुक्त होता।
इस तरह जब भी आप किसी से मिले तो हेलो- हाय कहने की वजह उसे हाथ जोड़कर नमस्ते या नमस्कार करें यह उनको तो प्रसन्न करेगा ही लेकिन आपका हृदय को खोलकर रख देगा और आप खुशी महसूस करेंगे। हिंदू धर्म में पैर पड़ने ओर हाथ जोड़ने को विशेष महत्त्व दिया गया है जो व्यक्ति को अध्यात्मिक तौर पर लाभ करता है।
हमारे दोनों हाथों का कुछ महत्व है हमारा दाहिना हाथ आचार यानी धर्म का और बाया हाथ विचार यानी दर्शन का होता है, और जब यह दोनों हाथ मिलाते हैं तो हमारी हथेली की इड़ा और पिंगला नाड़ी आपस में मिल जाती है तब हमारे भीतर श्रद्धा भाव जागृत होता है जिससे दिमाग की शक्ति बढ़ती है और आत्मा इसे स्वीकार करती है, और व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
यही कारण है कि मंदिर में प्रार्थना करते वक्त हम अपने दोनों हाथ जोड़ते हैं और खुद को भगवान के आगे आत्म समर्पित कर देते हैं, यही जब हम दूसरों से मिलते हैं तब भी हम खुद को आत्म समर्पित कर रहे होते हैं।
(Namaste india)प्राचीन ग्रंथो में दो हाथ जोड़ने को शक्ति का प्रतीक माना जाता रहा है। प्रभु के आगे हाथ जोड़ना हमारा प्रभु से मिलन होता है और लोगों के आगे हाथ जोड़ना उनके दिल और दिमाग में हमारी छवि को बेहतर बनाता है।
नमस्ते बोलते से दूसरे के मन में आपके लिए सुंदर भाव प्रकट होते हैं जो कि आपके संबंध मधुर करते है सुंदर भाव और आसापास लोगों का व्यवहार आपके आंतरिक उत्थान के लिए बहुत लाभदायक होते हैं इसलिए जब भी किसी से मिले तो उसे सर झुका कर नमस्कार जरूर करें।