Shri Ram: अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है और पूरा देश राम-राम में डूबा हुआ है। भगवान राम हिंदुओं के लिए आस्था का प्रतीक है। ऐसे में सभी जानना चाहते हैं कि भगवान राम और रावण में से कौन अच्छा था, और आखिरकार रावण को इतना ज्ञानी होने के बाद भी क्यों मारा शिव के भक्त रावण का आखिर अंत कैसे हुआ।
रावण को एक महान विद्वान, प्रचंड पंडित, महा ज्ञानी राजनीतिज्ञ, महाप्रतापी, महाप्राक़मी योद्धा और बलशाली रूप से पुकारा जाता था। रावण ने वेदों का ज्ञान हासिल किया था, क्षत्रियों का ज्ञान हासिल किया था, युद्ध कला में महारत हासिल की थी। यहां तक की रावण वीणा वादक भी था उसके बाद भी रावण का जो हश्र हुआ वह आज तक दुनिया याद करती है और उसका पुतला फूंकती है।
रावण श्रीलंका का राजा था, रावण और श्री राम एक दूसरे के परम शत्रु थे। 10 सिरो वाले रावण जब ने सीता माता का अपहरण कर लिया था सीता माता को बचाने राम वानर सेवा के साथ श्रीलंका पहुंचे तब राम ने रावण की नाभि में तीर मारा क्योंकि नाभि में रावण ने अमृत कलश छुपा रखा था क्योंकि रावण बेहद ही शक्तिशाली था। रावण एक सिद्ध ब्राह्मण था, परम तपस्वी था उसे कई वरदान प्राप्त थे रावण को ऐसा लगता था कि वह अमर है उसे मारना असंभव है लेकिन भगवान राम ने रावण को मार गिराया।
महा ज्ञानी पंडित होने के बाद भी रावण का यह अंत बेहद खौफनाक था, जो बताता है कि यदि व्यक्ति अगर बहुत ज्ञानी भी हो लेकिन उसका एक गलत काम उसकी जिंदगी नष्ट करवा सकता है। चाहे राम हो या रावण शब्द एक ही से शुरू होता है लेकिन अंतर होता है हमारे कर्मों का, हमारी सोच का जो हमें राम और रावण बनाते हैं
राम और रावण में से कौन अच्छा था (Shri Ram)
राम को श्री विष्णु का अवतार माना जाता है वह आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए, 14 साल वनवास में बिताएं और फिर एक श्रेष्ठ राजा कहलाए। उन्होंने सत्य, दया, करुणा धर्म और मर्यादा के मार्ग पर चलना चुना। राम शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति के मामले में आदर्श पुरुष थे उनकी अंतरात्मा चरित्रवान प्रज्ञावान और विचारणीय थी। और वही रावण में अनेक गुण होने के बावजूद उसका सर्वनाश हुआ। एक तरफ तो रावण भगवान शिव का भक्त था दूसरी ही तरफ रावण के अहंकार ने उसे डूबा दिया। वासना,क्रोध, लालच, लोभ ने रावण को हरा दिया। भौतिक दुनिया में वह धन दौलत इकट्ठा किया उसकी सोने की शंका थी वही वह ज्ञानी भी था लेकिन महाकपटी व्यक्ति था।
रामायण में रावण को ऋषि विश्ववा की संतान बताया गया है लेकिन उसकी मां केकयी थी जो राक्षस कुल की थी। रावण राक्षसी और क्षत्रिय दोनों गुण के साथ पैदा हुआ था अपने ज्ञान और प्रतिभा से वह शिव भक्त बना। लेकिन अपने चरित्र और कामों से दुनिया का सबसे खराब इंसान बना।
दशहरे में रावण को जलाने के पीछे क्या है असली मकसद
भगवान राम ने दशहरे वाले दिन रावण का संहार किया था। श्री राम ने जब रावण का वध किया तो यह संदेश जगत को दिया की अगर आपके भीतर 100 अच्छाइयां है लेकिन एक बुराई से आप हार जाओगे और बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों ना हो अंत में जीत अच्छाई की होती है।
Bhagwan ram: आदर्श पुरुष में होते हैं श्री राम के यह 16 गुण
यही कारण है कि हर वर्ष रावण का पुतला जलाया जाता है। जब जब रावण का पुतला जलाया जाता है तो यह भी माना जाता है कि व्यक्ति के अंदर अगर बुराइयां है तो वह कभी भी जीत नहीं सकता उसका संहार होना तय है इसलिए यह दशहरे वाले दिन रावण जालना प्रतीक है हमारी अंदर बुराई का, जिसे हमें खत्म करना चाहिए इससे पहले कि हम खत्म हो जाए।