Lakshadweep: समुद्र का वर्षावन कहे जाने वाला कोरल रीफ लक्ष्यद्वीप की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। यह समुद्री जीव कंकाल देखने का लोगों का उत्साह तब बढ़ गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप की यात्रा से लौटे और बहुत सारी फोटो शेयर की। विश्व का सबसे बड़ा
कोरल रीफ ऑस्ट्रेलिया की पूर्वी तट पर है जिसे ग्रेट बैरियर रीफ भी कहते हैं यह लगभग 1200 मील तक फैला है। कोरल रीफ को प्रवाल भित्ति या मूंगे की चट्टान भी कहते हैं। तो चलिए आप जानते हैं कि कोरल रीफ कैसे बनते हैं और इससे समुद्र को क्या-क्या फायदा होता है। मानव स्वास्थ्य के लिए ये किस तरह से लाभदायक है। कौन-कौन सी बीमारियों का इलाज होता है इसे।
कोरल रीफ क्या है
कोरल रीफ जानने से पहले जानते हैं कोरल क्या है कोरल जिसे मूंगा भी कहते हैं एक प्रकार का नन्हा समुद्री जीव है जिन्हें पॉलिप्स कहा जाता है जो लाखों करोड़ों की संख्या में एक साथ रहता है और अपने आसपास मृत कंकाल की चट्टान बना देता है जिससे कोरल रीफ को बेहद नुकसान पहुंचता है और महासागर के स्वास्थ पर प्रभाव पड़ता है।
प्रवाल भित्तीया या मूंगे की चट्टानें प्रवाल भित्तियां मिलियन जीवों का घर है। समुद्र के भीतर स्थित प्रवाल जीवो द्वारा छोड़े गए कैल्शियम कार्बोनेट से बनते हैं। प्रवाल कठोर संरचना वाले चुनाव प्रधान होते हैं इस प्रवालों की कठोर सत् ह के अंदर सहजीवी संबंध से रंगीन शैवाल जूजैंनथली पाए जाते हैं। यह रंग बिरंगी और बेहद ही खूबसूरत होते हैं जो समुद्र के भीतर बेहतर स्थिति की तंत्र का निर्माण करते हैं और तट से टकराने वाली लहरों को कम कर तटीय क्षेत्र की रक्षा करते हैं और लाखों लोगों के आय का स्रोत है।
प्रवाल भित्ति पर हजारों जीवों की प्रजातियां निर्वाह करती हैं और प्रवाल भित्तियां समुद्र में चल रही तरंग ऊर्जा को 97% तक कम करती है जिससे सुनामी जैसे खतरों से सुरक्षा मिलती है। प्रवाल भित्तियां मैंग्रोव वन और समुद्री घास के मैदानों की रक्षा भी करती है और समुद्री जानवरों को भोजन प्रदान करती है। भारत में मूंगा चट्टानें मुख्य रूप से अंडमान निकोबार द्वीप समूह, मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, पाक जलडमरू मध्य और लक्ष्य द्वीपों तक फैले हैं।
प्रवाल भित्तियों का चिकित्सा में उपयोग (Lakshadweep)
प्रवाल भित्तियों पर रहने वाले जानवरों और पौधों का अर्क का उपयोग अस्थमा, गठिया, कैंसर और हृदय रोग के उपचार के लिए किया जाता है यह जीवों की रक्षा तो करता ही है मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है।
प्रवाल द्वीपों को किन-किन चीजों से हानि पहुंच रही है
- अत्यधिक मत्स्य : बहुत ज्यादा मछलियां पकड़ना या फिर गलत तरीके से मछलियों को पकड़ना या लाठी से वार करना प्रवाल भित्तियों को नुकसान पहुंचता है।
- मनोरंजन गतिविधियां : समुद्र में पर्यटन उद्योग जिस गति से बढ़ रहा है इस गति से समुद्रीय पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है खासकर प्रवाल भित्तियों को।
- तटीय विकास : हवाई अड्डों का निर्माण इमारत का अंधाधुंध विकास के कारण भी समुद्र के तटों को नुकसान पहुंच रहा है।
- प्रदूषण : शहरी और औद्योगिक अवशिष्ट, सीवेज एग्रोकेमिकल, तेल प्रदूषण से भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है जिससे समुद्र में नाइट्रोजन बढ़ रहा है नाइट्रोजन बढ़ने से शैवालों में अत्यधिक वृद्धि होती है जिससे सूर्य की किरणें समुद्र तक नहीं पहुंच पाती और प्रवाल मर जाते हैं हरे भरे प्रवाल सफेद रंग में बदल जाते हैं।
- जलवायु परिवर्तन से प्रवाल विरंजन (coral bleaching): तापमान बढ़ने के कारण और पोषक तत्वों के परिवर्तन के कारण प्रवाल अपने निवास के सहजीवी शैवाल जूजैंनथली का निष्कासन कर देते हैं जिस कारण प्रवाल मर जाते हैं। और यदि महासागर अम्लीयकरण के कारण समुद्र में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ जाए तो भी समुद्र का पीएच लेवल कम हो जाता है जिससे प्रवाल मर जाते हैं