मथुरा की होली 40 दिनों तक मनाई जाती है जिसका विशेष महत्व है। मथुरा में होली की शुरुआत वसंत पंचमी वाले दिन से हो जाती है जिसे होली का डा़ढा गाड़ना भी कहते हैं। मथुरा में रंगों की होली के साथ-साथ फूलों की होली और लठमार होली प्रसिद्ध है। इस बार की होली बेहद खास है क्योंकि आप होली के अवसर पर मिल सकते हैं प्रेमानंद जी महाराज से।
मथुरा की होली केवल मात्र त्यौहार नहीं है बल्कि रंगों में सराबोर यह त्यौहार प्रेम और एकता की अभिव्यक्ति का त्यौहार है जहां उत्सव का नृत्य होता है होली के गाने गाए जाते हैं। इस अवसर पर कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मथुरा की होली में श्रद्धालु खुद को कृष्ण और अपने सखा बंधुओं को राधा और गोपी मानते हैं और खूब होली खेलते हैं।
मथुरा में लगभग 5000 छोटे बड़े मंदिर है जो की होली के अवसर पर सजते हैं दूर-दूर से लोग मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं। कहा जाता है कि होली में रंग गुलाल लगाने की शुरुआत मथुरा से ही हुई थी यहां मंदिरों में इस अवसर पर प्रसादी के रूप में भी गुलाल से रंगा जाता है।
मथुरा की लठमार होली
आमतौर पर पूरे देश में होली का त्योहार 1 दिन का होता है और रंगों से और पानी से खेला जाता है लेकिन मथुरा के बरसाना और नंद गांव में होली का त्यौहार अलग तरीके से मनाया जाता है जहां लठमार होली खेली जाती है इसमें महिलाएं डंडे से पुरुषों को मारती है और पुरुष खुद को बचाते हैं इस होली के पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है।
कहते हैं प्राचीन समय में जब श्री कृष्णा अपने दोस्तों के साथ राधा और गोपियों से मिलने बरसाना और नंद गांव जाते थे तो राधा और गोपियों को रंग लगा देते थे परेशान होकर गोपियां कृष्ण को मारने लगती थी और यही खेल बारंबार खेलते थे तभी से इस होली की शुरुआत हुई।
होली के अवसर पर कृष्ण की लीलाओं का प्रदर्शन होता है जहां 40 दिनों तक यह उत्सव प्रेम, एकता और नृत्य में बदल जाता है लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं, साथ नृत्य करते हैं, प्रसाद पाते हैं। होली के अवसर पर देश-विदेश से लोग मथुरा पहुंचते हैं जो की ब्रज का सबसे बड़ा त्यौहार है।
मथुरा की होली कहां मनाई जाती है
यदि आप भी होली में मथुरा वृंदावन आ रहे हैं तो आप बांके बिहारी मंदिर जा सकते हैं जहां आपको रंगों से रंग दिया जाता है साथ ही बरसाना में होली का विशेष उत्सव प्रतिदिन मनाया जाता है , इसके साथ ही ब्रिज में गुलाल कुंड में भी होली मनाई जाती है।
प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में फूलों की होली
मथुरा की होली 2025 इसलिए भी खास है क्योंकि युवाओं के दिलों में राज करने वाले प्रेमानंद महाराज जी के इस होली के अवसर पर आप दर्शन कर सकते हैं, एकांतिक वार्तालाप में अपने प्रश्न पूछ सकते हैं। बसंत पंचमी से ही प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में भी फूलों की होली की शुरुआत हो जाती है जहां श्री राधा रानी और भगवान श्री कृष्णा के ऊपर फूलों की वर्षा की जाती है यदि आप चाहते हैं कि आप वृंदावन में होली के अवसर पर पहुंचे तो आप महाराज जी के आश्रम श्री राधा केली कुंज में उनके दर्शन कर सकते हैं।
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होली मथुरा का विशेष त्यौहार है होली 2025 की मुख्यतः 14 मार्च को है लेकिन इससे पहले भी जाकर आप मथुरा की होली का आनंद ले सकते है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इन 40 दिनों में मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव पहुंचता है उन पर श्री राधा रानी की विशेष कृपा बनी रहती है। होली मात्र रंगों का त्यौहार ही नहीं है यह प्रेम का उत्सव है, एकता का त्यौहार है इस त्यौहार पर लोग मिलजुल कर उत्सव मनाते हैं और कृष्ण की लीलाओं का प्रदर्शन करते हैं।