spirituality vs religion: आज कल लोग धर्म और अध्यात्म को एक ही समझते हैं लेकिन दोनों में जमीन आसमान का अंतर ह है आप धार्मिक तो हो सकते है लेकिन जरूरी नहीं कि आप अध्यात्मिक भी हो, धर्म व्यक्ति को जन्म से मिलता है और अध्यात्म आपको हासिल करना पड़ता है। धर्म सब लोगों का अलग होता है लेकिन अध्यात्म सभी इन्सानों मे एक होता हैं फिर चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, या फिर जैन हो आप किसी भी धर्म से हो या फिर आप किसी भी देश या शहर में हो हर व्यक्ति के लिए अध्यात्म एक ही तरीके से काम करता है।
अध्यात्म में ना कोई छोटा होता है ना कोई बड़ा कई बार अध्यात्म एक बच्चे में भी देखने को मिलता है और कई बार एक बूढ़ा भी सिर्फ और सिर्फ कर्मकांड और धार्मिकता के नाम पर छल कपट करता है अध्यात्म इंसान की आत्मा की उन ऊंचाइयों को छूता है जहां कभी भी धर्म पहुंच नहीं सकता यदि धार्मिक व्यक्ति आध्यात्मिक होना चाहेगा तो वह जरूर हो सकेगा लेकिन आध्यात्मिक व्यक्ति कभी भी किसी धर्म- देश का नहीं होता क्योंकि महान इंसान कभी भी किसी चीज में भेदभाव नहीं करता वह सब कुछ एक मानकर चलता है।
अध्यात्म और धर्म एक दूसरे से अलग है अध्यात्म जहां आपको भीतर की शांति और उन्नति प्रदान करता है वही धर्म बाहरी कर्मकांड और पूजा पाठ पर जोर देता है। हर व्यक्ति धार्मिक तो हो सकता है लेकिन आध्यात्मिक नहीं हो सकता क्योंकि अध्यात्म सांसारिक मोह -माया,सही- गलत, हिंदू- मुस्लिम से अलग बात है
यहां हर व्यक्ति किसी न किसी धर्म से जुड़ा हुआ है और बहुत धार्मिक भी है ,पूजा पाठ भी करता है, प्रार्थना भी करता है लेकिन उसके जीवन का संघर्ष कभी खत्म नहीं होता दुर्भाग्यवश वह पूरी जिंदगी अपना दुःख में काट देता है अंत तक वह यह नहीं जान पाता है कि उसकी असली खुशी किस चीज में है और भागता रहता है यही अंतर है अध्यात्म और धर्म में। अध्यात्म आपको भीतर से खुशी देता है और सच से रूबरू कराता है वहीं अगर धर्म की बात की जाए तो धर्म संघर्ष की तरह काम करता है और इसमें कोई शक नहीं है कि जितने बुरे काम धार्मिक लोगों ने किए हैं उतने किसी सामान्य व्यक्ति ने भी नहीं किए हैं।
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अध्यात्म बनाम धर्म (Spirituality vs religion)
- धार्मिक व्यक्ति किसी विचारधारा और धर्म से जुड़ा होता है और वही आध्यात्मिक व्यक्ति कोई विशेष विचारधारा सही या गलत नहीं देखता वह सिर्फ और सिर्फ सत्य को जानता है और किसी धर्म से जुड़ा नहीं रहता ।अगर गौतम बुद्ध की बात करें तो वह किसी भी धर्म को नहीं मानते थे लेकिन कई साल बाद अन्य लोगों द्वारा बौद्ध धर्मशुरू किया गया था।
- धार्मिक व्यक्ति अपने विशेष भगवानों की पूजा करते हैं और वही आध्यात्मिक व्यक्ति आत्मा उसके मिलन की बातें करता है और एक में समा जाने के तरीके खोजना है और वही धर्म इंसानों को बांटने की बातें करता है और अध्यात्म पूरे संसार के एक होने की बात करता है।
- धर्म कहता है कि भगवान बाहर है इसीलिए उनकी मूर्ति बनाई जाती है ,मंदिर बनाए जाते हैं लेकिन अध्यात्म कहता है कि भगवान बाहर नहीं है भगवान आपके भीतर है बस आपको उसी को पाना है जिसके लिए व्यक्ति ध्यान (meditation)करता है पहाड़ों पर जाता है धर्म गुरुओं से दीक्षा लेता है।
- धर्म लोगों में भेदभाव करता है और अध्यात्म सारी दुनिया को एक मानकर चलता है और हर व्यक्ति को आध्यात्मिक होने के लिए प्रेरित करता है। आध्यात्मिक व्यक्ति अपना सब कुछ लुटा सकता है उसे एक अंतरात्मा ईको पाने के लिए लेकिन धार्मिक व्यक्ति किसी को चार पैसे देने से पहले कई बार सोचता है।
- धर्म तरह-तरह के डराने वाले विचारों से व्यक्ति को डराता है वह नरक से डरने की बातें करता है संसार से परे दूसरी दुनिया, नर्क और स्वर्ग की बातें करता है वही अध्यात्म सीखाता है कि इस धरती में ही स्वर्ग और नर्क है आपके साथ बुरा भी यही होगा और आपके कर्मों का फल भी यही मिलेगा।
- धर्म यह महसूस कराता है कि आप महासागर में एक सिंगल ड्रॉप की तरह हो लेकिन अध्यात्म आपके भीतर की असीम संभावनाएं और महासागर जितना आपका फैलाव महसूस कराता है।
- धर्म की बातें हम अक्सर दूसरे लोगों के एक्सपीरियंस से समझते हैं और बहुत सारी कहानियां सुनकर विश्वास करते हैं लेकिन अध्यात्म आपको आपके खुद के एक्सपीरियंस से महसूस होता है जब तक आपको खुद में महसूस नहीं हो रहा है कि आप आध्यात्मिक मार्ग पर हैं तब तक आपको इसमें कुछ भी नजर नहीं आता ना ही आप इस पर विश्वास करते हैं।
- धर्म आपको भगवान पर ध्यान केंद्रित और तरह-तरह के अनुष्ठान प्रथाएं फॉलो करने को बोलता है लेकिन अध्यात्म आपके जीवन में व्यक्तिगत खोज सीखाता है। यही कारण है कि पूरी जिंदगी लोग पूजा पाठ करते रहते हैं लेकिन उसके बाद भी वह खुश नहीं रहते ना ही संतुष्टि भरा जीवन जीते हैं।
- धर्म आपको अपने धर्म के लिए हिंसा तक करवाने पर मजबूर कर देता है लेकिन अध्यात्म में आप हर व्यक्ति को अपने समान मानते हैं और आप वहां लड़ते नहीं है, ना ही आप हिंसा करते हैं ,ना ही आप दूसरे के विचारों का शोषण करते हैं
- घर्म में आप कई ग्रंथ पढ़कर सीखते (spirituality vs religion) गीता, पुराण, महाभारत वही अध्यात्म आपको आपके खुद के भीतर जाने से पता चलता है जहां मनुष्य ईर्ष्या ,द्वेष ,घृणा ,आपसी भेदभाव से ग्रसित रहता है वही अध्यात्म आपको इन सब चीजों से मुक्ति दिलाता है