Ganesh chaturthi: भगवान गणेश को हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार ज्ञान समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी काम की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है जिन्हें समृद्धि और सौभाग्य से जोड़ा जाता है। भगवान गणेश के जन्म के रूप में हर वर्ष गणेश चतुर्थी मनाई जाती है यह पर्व 10 दिनों तक चलता है ऐसा माना जाता है कि इन 10 दिनों के लिए भगवान गणेश हर साल पृथ्वी पर भ्रमण करने आते हैं।
इस दौरान भक्त गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं, घर को सजाते हैं, पकवान बनाते हैं भोग लगाते है और मेहमान भी गणपती बप्पा का आशीर्वाद लेने अपने सगे संबंधियों के घर पहुंचते हैं, यह 10 दिन बेहद उत्सव के मनाया जता हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती हैं और भगवान गणेश की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता हैं, हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी से देश भर में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।
गणपति को विघ्नहर्ता क्यों कहा जाता है (Ganesh chaturthi)
भगवान गणेश की पूजा आराधना करने से परिवार में खुशी आने लगती है, सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, धन की कमी नहीं रहती, सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं अर्थात भगवान गणेश की पूजा व्यक्ति के सारे विघ्नों को हर लेती हैं। श्री गणपति का जन्म मां पार्वती के द्वारपाल के रूप में हुआ था। भगवान शिव जो भगवान गणेश के पिता थे उनका आशीर्वाद था कि अगर किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश की पूजा होगी तो वह कार्य अवश्य सफल होगा बिना किसी विध्न के पूरा होगा इसलिए गणपति को विघ्नहर्ता कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा आराधना करने से सभी बधाएं दूर होती हैं और यदि कोई नया व्यवसाय या काम शुरू करता है तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, भगवान गणेश की विधि विधान से की गई पूजा नया व्यवसाय, उद्धम को प्रगतिशील बनाती है।
गणेश उत्सव मनाने के पीछे की धारणा (Ganesh chaturthi )
एक मान्यता के अनुसार भारत में मुगल शासन के दौरान अपनी संस्कृति को बचाने के लिए छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश उत्सव की शुरुआत की थी ताकि व्यक्तियों को आपस में जोड़ा जा सके और भारत की संस्कृति को बचाया जा सके, छत्रपति शिवाजी द्वारा इस महोत्सव की शुरुआत के बाद मराठा साम्राज्य के बाकी पेशवा भी इस परंपरा को आगे बढ़ाएं।
पेशवाओं के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में हिन्दुओं के सभी पर्वो पर रोक लगा दी थी लेकिन फिर बाल गंगाधर तिलक अथक प्रयासों से महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी दोबारा मनाने की शुरुआत हुई, महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के इस पर्व को बेहद हर्षोल्लास से मनाया जाता है और देश भर में भगवान गणेश की पूजा आराधना की जाती है।
एक और पौराणिक कथा है जिसके अनुसार महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश से महाभारत की रचना को आगे बढ़ाने की प्रार्थना की थी और गणेश चतुर्थी के दिन ही व्यास जी के साथ भगवान गणेश ने महाभारत की रचना की शुरुआत की थी और लगातार 10 दिनों तक यह लेखन कार्य चला था, इस कारण भी गणेश चतुर्थी बनाने की परंपरा है कहा जाता है कि तभी से ही गणेश जी को विधि विधान से विसर्जित करने की परंपरा की शुरुआत हुई थी।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त (Ganesh chaturthi)
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हिंदू पंचांग के मुताबिक गणेश चतुर्थी की तिथि 6 सितंबर 2024 को दोपहर 3:01 से शुरू होगी और अंत 7 सितंबर को शाम 5:37 पर होगा और गणेश चतुर्थी का व्रत 7 सितंबर को रखा जाएगा ( Ganesh chaturthi) इस दिन आप बप्पा को घर में विराजित कर सकते हैं गणेश चतुर्थी वाले दिन ॐ गणपतये नमः मंत्र का जाप करने से भक्तों को मनवांछित फल प्राप्त होता है।