Arun yogiraj: आज पूरा देश ही नहीं पूरा विश्व सिर्फ रामभक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं। सबकी आंखें भावविभोर थी क्योंकि आज अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजमान होने वाले रामलला की छवि पहली बार करोड़ो रामभक्तों ने देखी। देश और विदेश से मेहमान अयोध्या पहुंचे थे और राम की भक्ति मैं डूबे थे।
सोभाग्यशाली हूं मैं ( Arun yogiraj)
रामलला की मूर्ति बनाने का सौभाग्य पा कर अरुण योगीराज ने कहा, “मुझे यह भावना आ रही है कि मैं विश्व का सबसे सौभाग्यशाली व्यक्ति हूँ। मेरे साथ हमेशा मेरे पुरखों, मेरे परिवार और भगवान रामलला का आशीर्वाद रहा है। मुझे लगता है कि मैं सपनों की दुनिया में हूँ। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा दिन है। योगीराज ने ही इस मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति बनाई है।
अयोध्या में बनाई गई भगवान राम की प्रतिमा को सजीव रूप देने वाले योगीराज अरुण द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति 51 इंच और 200 वजनी है जो आदि शंकराचार्य प्रतिमा पिता योगीराज शिल्पी ने सहयोग से बनाई थी। यह प्रतिमा बनाने के लिए मैसूर में एचडी कोट से काले ग्रेनाइट के पत्थर का चयन किया और इस पर वर्ष 2020 में काम शुरू कर दिया।
अरुण योगीराज कर्नाटक के रहने वाले हैं, मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले अरुण योगीराज वर्तमान में देश में सबसे अधिक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। अरुण वह मूर्तिकार हैं, जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं.
अरुण योगीराज ने ही सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले नई दिल्ली में इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के पीछे की छतरी में स्थापित किया गया था। उनकी रामलला की मूर्ति को अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित करने के लिए चुना गया था। और उन्होंने भगवान राम की मूर्ति पर जो भाव दिए है वो दिल को छू जाने वाले है और सभी की आंखों में आशुं थे भगवान राम के दर्शन पा कर। लोग घरों मै मंदिरों मै बैठ के साथ जोड़े भगवान राम के दर्शन किए। फिर शाम को दिए जला के दिवाली मनाई गई। आज का ये दिन इतिहास के पन्नो मै दर्ज हो गया है जब पूरा देश एक भाव मै लिन था और सभी के मुंह से राम राम निकल रहा था। भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा के समारोह मै प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से निरंतर राम नाम का जप चल रहा था।
उनके अन्य कार्यों में केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची 3-डी प्रतिमा भी बनाई थी जो उत्तराखंड त्रासदी के बाद स्थापित की थी, और साथ ही मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, मैसूर में बीआर अंबेडकर की 15 फीट ऊंची मूर्ति का उद्घाटन शामिल है। 2018 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा , नंदी की छह फीट की अखंड मूर्ति और बनशंकरी देवी की छह फीट ऊंची मूर्ति। मैसूर के राजा , जयचामाराजेंद्र वोडेयार की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृतशिला (संगमरमर) प्रतिमा, जिसका अनावरण 2016 में किया गया था, नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार की 5 फीट की प्रतिमा के साथ-साथ उनके प्रसिद्ध कार्यों में से एक है ।
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अपनी जड़ों की ओर लौटते हुए
पारिवारिक विरासत के बावजूद, अरुण ने शुरुआत में मूर्तिकला को पूर्णकालिक पेशे के रूप में नहीं अपनाया। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन MBA में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने एक निजी कंपनी के लिए काम किया। कुछ समय बाद, उन्होंने 2008 में अपनी नौकरी छोड़ दी और पूर्णकालिक रूप से मूर्तिकला के अपने जुनून को जारी रखा। और उनके दो भाई-बहन हैं जो परिवार का हाथ बंटाते है और अपनी विरासत को संजोए हुए है अपनी जड़ों की ओर लौटते हुए, 41 वर्षीय मूर्तिकार पांच पीढ़ियों के परिवार से हैं। उनके प्रसिद्ध दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था।